Harikrishna devsare biography of barack


हरिकृष्ण देवसरे

पूरा नामडॉ. हरिकृष्‍ण देवसरे
जन्म9 मार्च,
जन्म भूमिनागोद, मध्य प्रदेश
मृत्यु14 नवंबर,
मृत्यु स्थानइंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)
कर्म भूमिभारत
कर्म-क्षेत्रबाल साहित्‍यकार और संपादक
मुख्य रचनाएँ'खेल बच्‍चे का', 'आओ चंदा के देश चलें', 'मंगलग्रह में राजू', 'उड़ती तश्‍तरियां', 'स्‍वान यात्रा', 'लावेनी' आदि।
भाषाहिंदी
पुरस्कार-उपाधिसाहित्य अकादमी बाल साहित्य लाइफटाइम पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के बाल साहित्य सम्मान, कीर्ति सम्मान () और हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान ()
नागरिकताभारतीय
अन्य जानकारीवे बच्‍चों की लोकप्रिय पत्रिकापराग के लगभग 10 वर्ष संपादक भी रहे।
इन्हें भी देखेंकवि सूची, साहित्यकार सूची

हरिकृष्‍ण देवसरे (अंग्रेज़ी: Hari Krishna Devsare, जन्म: 9 मार्च, ; मृत्यु: 14 नवंबर, ) हिंदी के प्रतिष्‍ठित बाल साहित्‍यकार और संपादक थे। कविता, कहानी, नाटक, आलोचना आदि विधाओं में उनकी लगभग पुस्‍तकें प्रकाशित हैं। वे बच्‍चों की लोकप्रिय पत्रिकापराग के लगभग 10 वर्ष संपादक भी रहे।

जीवन परिचय

मध्य प्रदेश के नागोद में 9 मार्च को पैदा हुए हरिकृष्‍ण देवसरे का नाम हिंदी साहित्य के अग्रणी लेखकों में था और बच्चों के लिए रचित उनके साहित्य को विशेष रूप से पसंद किया गया। बच्चों के लिए लेखन के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें में साहित्य अकादमी बाल साहित्य लाइफटाइम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। से अधिक पुस्तकें लिख चुके देवसरे को बाल साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के बाल साहित्य सम्मान, कीर्ति सम्मान () और हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान () सहित कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया। कहा जाता है कि देवसरे देश के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बाल साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की थी।[1]

कार्यक्षेत्र

उन्होंने अपने जीवन काल में तीन सौ से अधिक पुस्तकें लिखीं। अपने लेखन में प्रयोगधर्मिता के लिए मशहूर देवसरे ने आधुनिक संदर्भ में राजाओं और रानियों तथा परियों की कहानियों की प्रासंगिकता के सवाल पर बहस शुरू की थी। उन्होंने भारतीय भाषाओं में रचित बाल-साहित्य में रचनात्मकता पर बल दिया और बच्चों के लिए मौजूद विज्ञान-कथाओं और एकांकी के ख़ालीपन को भरने की कोशिश की। डॉक्टर हरिकृष्ण देवसरे क़रीब 22 साल तक आकाशवाणी से जुड़े रहे और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद पराग पत्रिका का संपादन किया था। डॉक्टर हरिकृष्ण देवसरे ने धारावाहिकों, टेलीफिल्मों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित कार्यक्रमों के लिए कहानी भी लिखी। डॉक्टर हरिकृष्ण देवसरे ने कई किताबों का अनुवाद किया। डॉक्टर हरिकृष्ण देवसरे ने में कार्यक्रम अधिशासी के रूप में आकाशवाणी से अपना करियर शुरू किया और तक विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का निर्माण और प्रसारण किया।[2]

बाल साहित्‍यकार

हिंदी बालसाहित्‍य पर पहला शोधप्रबंध, प्रथम पांक्‍तेय संपादक, प्रथम पांक्‍तेय आलोचक तथा प्रथम पांक्‍तेय रचनाकार थे हरिकृष्ण देवसरे। उन्हें बालसाहित्‍यकार कहलवाने में जरा-भी हिचकिचाहट नहीं थी। जब और जहां भी अवसर मिले बालसाहित्‍य में नई परंपरा की खोज के लिए सतत आग्रहशील रहे। पचास से अधिक वर्षों से अबाध मौलिक लेखन, कई दर्जन पुस्‍तकें, उत्‍कृष्‍ट पत्रकारिता, संपादन, समालोचना और अनुवादकर्म उनके लेखन कौशल को दर्शाता है। कुल मिलाकर बालसाहित्‍य के नाम पर अपने आप में एक संस्‍था, एक शैली, एक आंदोलन थे हरिकृष्ण देवसरे। उस जमाने में जब बालसाहित्‍य अपनी कोई पहचान तक नहीं बना पाया था, लोग उसे दोयम दर्जे का साहित्‍य मानते थे, अधिकांश साहित्‍यकार स्‍वयं को बालसाहित्‍यकार कहलवाने से भी परहेज करते; और जब बच्‍चों के लिए लिखना हो तो अपना ज्ञान, उपदेश और अनुभव-समृद्धि का बखान करने लगते थे, उन दिनों एक बालपत्रिका की संपादकी के लिए जमी-जमाई सरकारी नौकरी न्‍योछावर कर देना, फिर बच्‍चों की खातिर हमेशा-हमेशा के लिए कलम थाम लेना, परंपरा का न अतार्किक विरोध, न अंधसमर्पण। डॉ. [3]

वर्ष उपन्‍यास/ कहानी संग्रह का नाम पृष्‍ठ एवं मूल्य प्रकाशक अन्य विवरण
खेल बच्‍चे का 42 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये ज्ञानोदय प्रकाशन, रायपुर / इलाहाबादविज्ञान आधारित छोटी-छोटी कुल 09 कहानियां
आओ चंदा के देश चलें 88 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये बाल बुक बैंक, नई दिल्ली / मथुरावैज्ञानिक उपन्‍यास
मंगलग्रह में राजू 88 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये बाल बुक बैंक, नई दिल्ली / मथुरावैज्ञानिक उपन्‍यास
उड़ती तश्‍तरियां 96 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये बाल बुक बैंक, नई दिल्ली Height मथुरावैज्ञानिक उपन्‍यास
स्‍वान यात्रा 44 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये जयश्री प्रकाशन, दिल्ली वैज्ञानिक उपन्‍यास
लावेनी 52 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये मिश्रा ब्रदर्स, अजमेरवैज्ञानिक उपन्‍यास
सोहराब रुस्‍तम 40 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये शकुन प्रकाशन, नई दिल्लीऐतिहासिक उपन्‍यास
आल्‍हा ऊदल 40 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये शकुन प्रकाशन, नई दिल्लीऐतिहासिक उपन्‍यास
गिरना स्‍काइलैब का 40 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये मीनाक्षी प्रकाशन, अजमेर, राजस्थानविविध कथा संग्रह
डाकू का बेटा 40 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये सन्‍मार्ग प्रकाशन, दिल्ली डाकू समस्‍या पर आधारित लंबी कहानी/ उपन्‍यास
दूसरे ग्रहों के गुप्‍तचर 40 पृष्‍ठ, मूल्‍य रुपये शकुन प्रकाशन, नई दिल्लीविज्ञान फंतासी

सम्मान और पुरस्कार

  • बाल साहित्यकार सम्मान
  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के बाल साहित्य सम्मान
  • कीर्ति सम्मान ()
  • हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान ()
  • वर्ष में न्यूयार्क में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लिया।

निधन

हरिकृष्ण देवसरे का गुरुवार14 नवंबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 75 साल के थे। उनके पुत्र शशिन देवसरे ने बताया कि उनके पिता लंबे समय से बीमार थे और उनका ग़ाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में एक अस्पताल में निधन हो गया। देवसरे के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो पुत्र और एक पुत्री हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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